बाप, खुद बाप बनने के बाद समझ आता है। कहीं पढ़ा था,कि पिता-पुत्र के सम्बंध वक्त के साथ बदलते हैं। कम उम्र का बच्चा पिता को आइडोलाइज करता है, उसके जैसा बनना चाहता है। लेकिन निजी वैयक्तिकता विकसित होते ही, सबसे पहला विद्रोह भी उसी से करता है। ●●क्योकि किशोरवय बालक के पास आलोचना का आसानी से उपलब्ध..और सबसे "सेफ टारगेट" पिता है। बाप की हेयरस्टाइल, कपड़े, सोच, तौर तरीक़े, लुक्स, उसकी आदतें.. किशोरावस्था में सब पिछड़ा, औऱ अनुपयोगी लगता है। बेटा पिता के ठीक उलट जाकर कुछ करना चाहता है। खुद के तरीके, आजमाना चाहता है। ●●भगतसिंह वही बेटा