शहर से कुछ ही दूरी पर एक छोटी सी पहाड़ी थी, जहां सुंदर वृक्षों की घनी आबादी थी। शहर के लोग अक्सर छुट्टी के दिन अपनी शाम गुजारने उस पहाड़ी पर आकर वृक्षों के नीचे बैठकर जीवन का और उन पलों का आनंद लिया करते थे। कई प्यार के पंछी भी वहां आकर अपने प्यार को दूसरों से छुपाते हुए एक-दूसरे के नज़दीक आते थे। वृक्षों के ऊपर अपनी यादों को भविष्य में ताजा करने के लिए कुछ ना कुछ चिन्ह अवश्य बना दिया करते थे। उन्हीं वृक्षों के बीच एक विशालकाय वृक्ष था जिसका नाम इस कहानी में संजीवनी है। अपनी विशाल शाखाओं