बैकबेंचर

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राहुल राहुल,नीचे बैठ जा मैम ने कहा है। तुम दोनो बाहर से अंदर आ जाओ। मॉनिटर की कर्कश आवाज़ में कोई फनकार ही नही था। जैसे मानो फटा ढोल लगातार बजे जा रहा हो। सुबह सुबह विद्यालय क्या जाना होता था। मानो एक तांडव करना होता था। बस यूं समझिए की जैसे तैसे 12वी कक्षा को क्रॉस करना था। हर दिन एक बस्ता और एक ही शक्ल के लोग जिनसे रूबरू होना एक युद्ध था। मैं तो लगातार चार साल तक एक ही सड़क से सुबह विद्यालय और शाम को घर जाना। पीटीआई की मार, नेल, शूज,ड्रेस,लेट लतीफ होने पर,