60 रुपया

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60 रूपया !! 60 रूपया !! 60 रूपया !!कतई बेशर्म थे गांधी। जहां भीड़ भाड़, पब्लिक का हुजूम पाते, वही झोली फैलाकर दरिद्रनारायण के नाम पर चंदा मांगने से न चूकते। तो गांधी आंदोलनजीवी ही नही, परले दर्जे के चंदाखोर भी थे। ●●बैरिस्टर गांधी ने, जिरह वाली वकालत तो कभी की नही। दक्षिण अफ्रीका गए थे, कारोबारी कानूनी मदद के सिलसिले मे। क्लाइंट धनी मुसलमान था, उसी के घर ठहरे। और जब सार्वजनिक जीवन रमते गए, तो कमाना धमाना छूट गया। इस दौर मे वे तमिल, पारसी, चाइनीज, इंडोनेशियन, अरब आप्रवासियों के मुद्दे उठाने लगे।तमाम धर्म, रंग, जाति के संपर्क