बदनसीब - 1

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चाय का कप हाथ में लेकर धीरे धीरे कांपकपाते पैरों से आराम कुर्सी तक का सफ़र मेरे लिए ऐसा लगा, जैसे एक किलोमीटर का सफ़र। आराम कुर्सी के बराबर में पुराने स्टूल पर चाय का कप रख कर अपने आप को आराम कुर्सी पर बैठा दिया।,, जब आपके बस का नही रहा तो क्यों जाते हों किचन में,,। नमिता के शब्द कानों में गूंज गए।,, हां नमिता, शायद तुम ठीक ही कहती थी, लेकीन क्या करूं, पहले तुम साथ रहती थीं, अब तुम छोड़कर चली गई तो कुछ काम तो करने ही पड़ेंगे,,। बहुत ही धीमी आवाज़ में बड़बड़ाया मैं।तभी