सदमा

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तेरा जाना ...दिल के अरमानों का मीट जाना..!कोई देेखे बनके तक़दीरों का मीट जाना...!तेरा जाना..!दफ्तर से आकर थकी हुई रिक्ता को टी.वी. के सामने बैठकर काल्ड काफी पीना अच्छा लगता था। मोबाइल से तो अब एक चीढ सी हो गई थी। एक वक्त था, जब मोबाइल को ऐसे सीने से लगाए फिरती थी मानो मोबाइल दूर कर दिया तो जैसे कोई श्लोक को भी उससे दूूर ले जाएगा! रिक्ता ने गाना सुना और उसकी आँख भर आई। हा, फिर वो ही, श्लोक की बातेें, पुरानी यादें। शायद यादों और अश्कों का रिश्ता युुगो पुराना रहा होगा। तभी तो याद आते