चिराग का ज़हर - 15

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(15) फिर वह जैसे ही बररादे से उतरकर अन्धकार की ओर बढ़ा वैसे ही उसे फायरिंग की आवाजें सुनाई दीं । गोलियां इस प्रकार तड़तड़ाई थीं जैसे रायफल और रिवाल्वर के बजाय टामीगन प्रयोग की गई हो। उसने भागने के बजाय धरती का सहारा लिया और पेट के बल रेंगता हुआ उसी ओर बढ़ने लगा जिधर से फायरिंग की आवाजें आई थीं। तड़तड़ाहट जब समाप्त हुई तो भागते हुये कदमों की आवाजों के साथ पुलिस की सीटियां गूंजने लगीं। इन्स्पेक्ट आतिफ ने यही उचित समझा था कि वह नीलम हाउस वाले बरामदे ही में रह कर खम्बे की आड़ से