माधुरी ने शुभांकर के कमरें में किसी महिला की तस्वीर देखी तो उसने उससे पूछा.... शुभांकर बाबू!ये कौन हैं? तब शुभांकर बोला... ये मेरी माँ की तस्वीर है,इनका नाम कनकलता था,लेकिन अब ये इस दुनिया में नहीं हैं... ओह....बड़ा दुःख हुआ ये जानकर,मैं समझ सकती हूँ आपके मन की पीड़ा क्योंकि मेरी भी तो माँ नहीं है,माधुरी बोली.... तो क्या आप भी मेरी तरह माँ की ममता से महरूम हैं?शुभांकर ने पूछा... जी!मेरे तो पिता भी नहीं हैं,माधुरी बोली... ओह...चलिए छोड़िए ये सब बातें,कुछ और बातें करते हैं,वैसें आपको नाचने के अलावा और किस किस चीज का शौक है?शुभांकर ने