मेरे परिवार के साथ मेरी जिंदगी

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आप सोच रहे होंगे की मैंने इस सीर्सेक का नाम - मेरे परिवार के साथ मेरी जिंदगी क्यों रखा।बात कुछ ऐसी है की मेरी अपने परिवार से कुछ ज्यादा बोल चाल नही थी। मैं अपना हिसाब से चलना चाहता था और मेरे परिवार वाले अपने हिसाब से चालना चाहते थे। आप सब सोच रहे होंगे की में ये सब क्या बोल रहा हूं। आप कहानी को आख़िर तक पढ़ना , आपको सब पता चल जाएगा तो चलिए देर न करते हुए कहानी की शुरुआत करते नमस्ते दोस्तो, मेरे नाम कैलाश है। मै फरीदाबाद के बल्लभगढ़ जिला के सीकरी गांव का