गिरिराज और धंसिका सरोवर तक पहुँचे और दोनों रथ से उतरने लगे तो धंसिका गिरिराज से बोली.... "सेनापति! कृपया!आप रथ पर ही विराजमान रहें,केवल मैं ही पुष्प चुनने जाऊँगी", "किन्तु! धंसिका ! मैं भी तुम्हारे संग पुष्प चुनने हेतु जाना चाहता हूँ",गिरिराज बोला... "कृपया! आप इस कार्य हेतु कष्ट ना उठाएं,आपको पुष्पों की पहचान भी तो नहीं है कि कैसें पुष्प इत्र बनाने योग्य होते हैं,इसलिए आप यहीं ठहरें", ऐसा कहकर धंसिका रथ से उतरी और सरोवर के समीप गई,इसके पश्चात वो सरोवर के तट से लगी हुई नाव पर जाकर उसे खेते हुए कमल के पुष्प चुनने लगी,वो पुष्प