कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(५५)

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सभी धंसिका को लेकर चिन्तित थे किन्तु त्रिलोचना को धंसिका की अत्यधिक चिन्ता हो रही थी,वो जब रात्रि को विश्राम करने हेतु अपने बिछौने पर लेटी तो,वो समझ नहीं पा रही थी कि धंसिका का ममता भरा स्पर्श उसे इतना प्रिय क्यों लगा? क्या कारण है कि उसके मन में धंसिका के लिए प्रेम की भावना उत्पन्न हो गई है,उसके समक्ष धंसिका एक जटिल प्रहेलिका की भाँति खड़ी थी जिसे वो सुलझा नहीं पा रही थी और उसने अपने मन में उठ रहे अन्तर्द्वन्द्व को अपने भ्राता भूतेश्वर से साँझा करना चाहा,इसलिए वो अपने बिछौने से उठकर भूतेश्वर के पास