मदिरापान करते करते सारन्ध अचेत सा होने लगा तो कालवाची ने सोचा कि अब क्या करूँ,इसे ऐसी अवस्था में यहीं छोड़कर चली जाऊँ या इसकी हत्या कर दूँ,किन्तु इसकी हत्या करने का विचार तो मुझे किसी ने नहीं दिया तो मैं भला इसकी हत्या कैसें कर दूँ,यदि मैनें किसी से बिना परामर्श के इसकी हत्या कर दी तो कहीं कुछ अनुचित ना हो जाएं,इसलिए अभी मैं इसकी हत्या का विचार त्याग देती हूँ,सबके विचार पर ही मैं इसे कोई दण्ड दे सकती हूँ और यही सब सोचकर सारन्ध के अचेत हो जाने पर कर्बला बनी कालवाची अपने कक्ष में लौट