-बेटा-

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बेटाबहू अगर तुम्हारी इजाजत हो तो क्या मैं अपने बेटे को घर ले जा सकता हूं?घर में बहुत शांति पसरी हुई थी। अगर पत्ते भी हिलते तो उनकी आहट तक सुनाई दे रही थी। उससे ज्यादा मौन और खामोशी तो वैदेही जी के मन में थी। घर में दो शख्स मौजूद थे पर उसके बावजूद दोनों अलग-अलग कमरों में थे। अचानक गिलास गिरने की आवाज आई तब वैदेही जी की तंद्रा टूटी। उठकर रसोई में गई तो देखा पति सोमेश जी जमीन पर गिरे पानी को साफ कर रहे थे।आप रहने दीजिए। मैं साफ कर देती हूं।पानी पीने आया था।