मेरे शब्द मेरी पहचान - 19

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---- कुछ कहना था जो रह गया ----* क्या कहना था पता नहीं पर कुछ कहना था जो रह गया ।समझना बाकी था अभी मेरा कुछ बताना था जो रह गया ।अभी तो जी भर के पढ़ा ही नहीं कुछ लिखना था जो रह गया ।इतनी बड़ी दुनिया है जिसमें किसी को एक टक तकना था जो रह गया ।हँसमुख लोग रोते थोड़ी है एक वक्त जी भर के रोना था जो रह गया ।सपने देखे थे हमने भी उन्हें बस धागे में पिरोना था जो रह गया ।किसी और के हम काबिल ही कहां हमे तो बस खुद