वो माया है.... - 51

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(51) मोहल्ले में एक घर पर अखंड रामायण का पाठ हो रहा था। किशोरी वहीं गई हुई थीं। उमा को भी वहाँ जाना था। पर वह बद्रीनाथ के इंतज़ार में रुक गई थीं। बद्रीनाथ सामान लेकर घर पहुँचे। उमा ने उन्हें पानी लाकर दिया। बद्रीनाथ ने पानी पी लिया। उमा ने उनसे कहा,"विशाल को खाना खिला दिया है। वह अपने कमरे में आराम कर रहा है। आप भी खाना खा लीजिए। फिर हम कुछ देर के लिए रामायण में चले जाएं।""बाजार में शिवराज मिल गया था। उसके साथ समोसा खा लिया था। भूख नहीं है। तुम रसोई समेट कर चली