(50) विशाल बैंक आया था। उसे कौशल को देने के लिए पैसे निकालने थे। अभी तक वह कौशल को टालना चाह रहा था। उसके ससुर के ईंट के भट्टे वाली ज़मीन पर अब बटाई पर खेती होती थी। उससे हुई आमदनी का एक हिस्सा विशाल को ही मिलता था। विशाल सोच रहा था कि गेंहूँ की फसल कटने तक कौशल को टाल दे पर वह मानने को तैयार नहीं था। इसलिए विशाल अपनी जमा पूंजी से पैसे निकालने आया था। इस बैंक अकाउंट का बद्रीनाथ को पता नहीं था। इस बैंक अकाउंट का एटीएम कार्ड नहीं था। ना ही डेबिट