शाकुनपाॅंखी - 42 - मनुष्य की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है

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62. मनुष्य की प्रतिष्ठा दाँव पर लगी है कच्चे बाबा के आश्रम में कुछ नागरिक प्रश्नाकुल बैठे हैं। बाबा और पारिजात रोगी को औषधि देने गए हैं। अभी लौट नहीं पाए। 'जजिया कर लगा दिया गया है। हमारे मंदिर नष्ट किए जा रहे हैं। बालिकाएँ पकड़ ली जाती हैं। ऐसे में......।' एक नागरिक ने समस्या रखी। 'हमें किसी प्रकार तुर्क शासन को उखाड़ फेंकना चाहिए । तभी इससे मुक्ति मिल सकेगी।' दूसरे नागरिक ने अपनी बात रखी। पर उखाड़ फेंकना क्या इतना सरल है?" पहले ने प्रश्न किया। 'शासक बदल जाने पर क्या आस्था भी बदल जाएगी? अपनी इच्छानुसार कोई