49. किंवदंतियों से भर उठे चतुष्पथ नालन्दा महाविहार मगध की राजधानी राजगृह से उत्तर पश्चिम एक योजन पर स्थित था। बौद्ध और जैन दोनों धर्मों का विशिष्ट केन्द्र । बुद्ध के शिष्य उपतिष्य सारिपुत्र नालन्दा में ही जन्मे और वहीं निर्वाण प्राप्त किया। उनकी स्मृति में एक चैत्य का निर्माण वहीं हुआ ।जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी ने वहाँ लगभग चौदह वर्षों तक निवास किया। अनेक जैन मंदिर निर्मित किए गए। एशिया के अनेक देशों के छात्र नालन्दा विद्यापीठ में आकर पढ़ते। चीनी यात्री हैनत्सांग और इत्सिंग सातवीं सदी में यहाँ पढ़ते रहे। उस समय दस हजार विद्यार्थी