शाकुनपाॅंखी - 31 - मुक्ति कहाँ ?

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44. मुक्ति कहाँ ? हरिश्चन्द्र मुदई से चलकर गोमती तट पर आ गया, कान्यकुब्ज छूटने की कसक मन में लिए हुए। तुर्क, दुर्गों, पण्यशालाओं पर काबिज तो हो रहे थे पर बहुत सा क्षेत्र अब भी उनकी पहुँच से बाहर था । वनों, बीहड़ों में कौन जाता ? हरिश्चन्द्र पिता के विशाल साम्राज्य को बचा तो नहीं सका पर उसके कुछ भू भाग अभी उसी के कब्जे में थे। गोमती और गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में अनेक विषय अभी भी उसके अधिकार में थे। उस समय जनपद स्तरीय क्षेत्र को 'विषय' कहा जाता था जो विषयपति के अधीन होते थे।