(48)आधी रात का समय था। विशाल धीरे धीरे सीढ़ियां उतरते हुए आंगन में आया। एकबार चारों तरफ देखा। पूरी तरह सन्नाटा था। उसने अपनी जैकेट का हुड ऊपर किया। दरवाज़ा खोला। बाहर जाकर धीरे से भेड़ दिया। एकबार फिर इधर उधर देखा और चल दिया।शाम को उसकी कौशल से बात हुई थी। वह उससे मिलना चाहता था। विशाल ने उससे कहा था कि रात बारह बजे के बाद पुराने शिव मंदिर के पीछे आकर मिले। फरवरी शुरू हो गई थी पर आज ठंडी हवा चल रही थी। विशाल ने चलते हुए अपनी जैकेट की चेन ऊपर तक चढ़ा ली। वह