शाकुनपाॅंखी - 28 - रणभेरी बज उठी

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39. रणभेरी बज उठी महाराज को गुप्तचरों ने सूचित किया कि शहाबुद्दीन गोरी की सेनाएं कान्यकुब्ज की ओर बढ़ रही हैं। वे चिन्तित हो उठे। पंडित विद्याधर कान्यकुब्ज छोड़कर चले गए हैं। कान्यकुब्ज की सेनाएँ कर उगाही के लिए सुदूर क्षेत्रों में व्यस्त हैं। इस समय की विडम्बना कहें या कुछ और। चाहमानों से युद्ध करते कान्यकुब्ज की सेना खप गई थी। पुनर्गठन के बाद भी सैन्यबल अभी उस स्थिति में नहीं पहुँच पाया । कान्यकुब्ज सैन्यबल की प्रशंसा के पुल बांध दिए जाते थे पर इस समय ? तराइन युद्ध के बाद अनेक चाहमान सामन्तों ने अपने को स्वतंत्र