शाकुनपाॅंखी - 25 - तुम यही कहोगे !

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35. तुम यही कहोगे ! चन्द चलते रहे। उन्होंने एक जंगल में स्कन्द को खोज निकाला। दोनों गले मिले। देर तक स्कन्द के अश्रु गिरते रहे। मन जब कुछ शान्त हुआ तो स्कन्द ने चाहमान नरेश के बन्दी होने की जानकारी दी। यह भी बताया कि किस प्रकार उन्हें बन्दीगृह से निकालने की योजना बनी है। दोनों भावी कार्यक्रमों पर चर्चा कर ही रहे थे कि चंचुक ने आ कर प्रणाम किया ।'कोई नई सूचना? स्कन्द ने पूछा । 'मंत्रिवर, सब कुछ उलट गया।' कहते हुए चंचुक रो पड़ा । 'महाराज की आँखें निकाल ली गईं। उन्हें ग़ज़नी ले जाया