शाकुनपाॅंखी - 24 - बनना ही चाहिए

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33. बनना ही चाहिए कच्चे बाबा अपने आश्रम में पौधों के आसपास उगे खतपरवार को निकालने में लगे थे। एक बालक दौड़ता हुआ आया, 'गुरुदेव, एक फ़कीर आए हुए हैं। वे आपसे मिलना चाहते हैं। गुरुजी ने बुलाया है।' बाबा चल पड़े। खुरपी एक किनारे रख दिया। हाथ पैर धोया । अंगरखे से हाथ पोंछते हुए आ गए। विहल होकर गले मिले। फकीर को आसनी पर बिठाया, स्वयं भी पार्श्व में बैठ गए। पारिजात बच्चों को पढ़ाने के लिए चले गए।फ़क़ीर के पैर में कांटे चुभ गए थे। कच्चे बाबा एक सुई लेकर आए । बैठकर स्वयं फ़क़ीर के पैरों