28. ये आँखें जिस इमारत में पृथ्वीराज का कैद किया गया था उस पर सख़्त पहरा था। पृथ्वीराज एक कोठरी में बैठा अपने क्रिया कलापों के बारे में सोचता रहा। कहाँ वह चाहमान नरेश था, आज बन्दी है। कल क्या होगा? उसकी भूख प्यास गायब हो गई। भृत्य आता भोजन के लिए निवेदन करता पर पृथ्वीराज इनकार कर देता। बहुत आवश्यक हुआ तो जल ग्रहण कर लेता। जो सदैव अपने सहयोगियों, कर्मकरों से घिरा रहता था, आज सूनी दीवारें ही उसका हाल चाल पूछतीं । उसका परिवार, उसके लोग किन स्थितियों में हैं? प्रजा किन संकटों का सामना कर रही