वानर पुत्र नहीं है मानव

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  अपनी आदत के अनुसार ही शर्माजी आज भी सुबह ही घूमने निकल गए। कमर का दर्द अब पहले से काफी कम हो गया था इसलिए अब फिर से उन्होंने धीरे-धीरे अपनी पुरानी दिनचर्या शुरू कर दी थी। करीब महिनाभर के आराम के बाद जब वे पहली बार घर से बाहर निकले तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कि पूरा का पूरा मौहल्ला एकदम साफ-सुथरा, बिल्कुल वैसा ही जैसा वो सोचा करते थे कि ऐसा होना चाहिए लेकिन लोग समझते ही नहीं थे। ऐसा कौनसा चमत्कार हो गया मेरे बीमार होते ही लोगों में कहाँ से समझ आ गई