नवरात्र का महीना सुरु हो गया था और हर रोज़ किसी न किसी चीज़ को लेकर मेरा मेरी बीवी से अनबन होता ही रहता था पर एक दिन मेरी बीवी सुबह से मुझसे बात नही कर रही थी और मुझे खिज़ खिज़ लग रहा था कि वो मेरा जवाब क्यों नही दे रही हैशाम का समय, मुझे चाय की तलब लगी , कई बार मैंने चाय बनाने को कहा और सब्र का गागर भर गया तोह चीड़ कर मैंने कहा" यार दुश्मन को भी चाय बनाकर पिलाया जाता है मैं तोह फिरभी तुम्हारा पति हूँ" , वो फ़ोन पर अपनी