वो माया है.... - 41

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(41) विशाल जब घर पहुँचा तब बद्रीनाथ घर के दालान में पड़ोस के तिवारी के साथ बात कर रहे थे। विशाल उनसे नज़रें बचाकर अंदर जाने लगा तो तिवारी ने कहा,"अरे विशाल जरा यहाँ आओ।"आवाज़ सुनकर विशाल रुक गया। वह तिवारी के पास गया। हाथ जोड़कर बोला,"नमस्ते चाचा जी।"तिवारी ने खाली पड़ी कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा,"बैठो यहाँ..... कुछ बात करनी है।"विशाल कुर्सी पर बैठ गया। अखबार उसने अपनी पीठ के पीछे दबा दिया। तिवारी ने कहा,"अब कब तक इस तरह ज़िंदगी बिताओगे। भूल जाओ सब। नए सिरे से जीवन शुरू करो।"विशाल सर झुकाए बैठा था। उसे इस