कौन कहता है अब समाज मे लड़की लड़का बराबर है। आज भी सभी अंतिम फैसले पुरुष के हीं होते है।हाँ! मे मानती हू कुछ परिवारों मे, कुछ फैसले महिलाए करती है. पर यह भी पूरा सत्य नहीं है. कहा गलती होती है माँ -बाप सें बच्चों कि परवरिश मे जो लड़कियां बहुत सें अधिकारों सें वंचित रह जाती है,और लड़के उन अधिकारों के अधिकार सें इतने शक्तिशाली हो जाते है कि वो एक दिन अपने उन्ही माँ -बाप को उनके,हीं घर सें हाथ पकड़ कर बाहर निकाल देता है। आज बहुत सें माँ बाप भी एक ऐसे हीं एक राक्षस