25. महावर भी नहीं छूटा थावक जो तराइन के मैदान से भाग कर सूचना देने के लिए दौड़ पड़े थे उनमें से अजयमेरु जाने वाले धावक पृथ्वीराज के छोटे भाई हरिराज को सूचना दे अर्न्तधान हो गए थे। हरिराज इसी लिए शाह के हाथों नहीं लग सके। वे गुप्त मार्ग से अजयमेरु से बाहर निकल गए। धावकों के दूसरे दल ने दिल्लिका पहुँच राजकुमार गोविन्द और कन्ह पुत्र को सूचना दी। आग की भांति यह सूचना राज प्रासाद सहित सम्पूर्ण दिल्लिका में फैल गई। नगर वासी चकित थे । यह असंभव कैसे संभव हो गया? हर कोई दूसरे से पूछता