शाकुनपाॅंखी - 17 - उन्हें विश्वास नहीं हुआ

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24. उन्हें विश्वास नहीं हुआ ब्राह्म मुहूर्त का समय। दूर से आती हुई पपीहे की ध्वनि पक्षियों की फड़-फड़ । झाड़ियों के बीच से मयूर मयूरी की सुगबुगाहट अभी आसमान में लालिमा का कोई चिह्न नहीं था। पक्षि शावक कुलबुलाकर आँख मूँद लेते। घाघस मुआ... मुआ की ध्वनि कर अभी चुप हुआ है। श्रृगाल छिपने के स्थान पर जाने वाले हैं। चाहमान शिविर में कुछ थोड़े से लोग उठकर नित्यकर्म की ओर उन्मुख हो रहे थे। बहुत से लोग अभी सोते हुए पुरवा का आनन्द ले रहे थे। अचानक घोड़े हिनहिना उठे। लोग जब तक कुछ समझें, शिविर पर तीर