23. आग रात भर जलती रही तराइन के मैदान में पानी की सुविधा देखकर सेना के शिविर लगने लगे। भण्डारी अपने अपने सैन्य दलों के लिए भोजन की व्यवस्था में लग गए। शिविर पाल शिविर को व्यवस्थित करने में व्यस्त हो गए। घोड़ों की काठी खुल गई। अश्वारोही रक्षाकवच उतारकर समूहों में बैठकर विश्राम करने लगे। सरसुती नदी के किनारे कोसों तक सैन्य शिविर ही दिखाई पड़ने लगे । महाराज ने सायंकाल सामन्तों एवं सेनाध्यक्षों को बुलाकर मंत्रणा की । राजकवि चन्द का अभाव उन्हें खटकता रहा। तब तक चन्द के सहयोगी आ उपस्थित हुए। उन्होंने महाराज से कहा 'महाराज,