गरीबी जब दरवाज़े से अंदर आती है….हेमा और राकेश ने घर से भाग कर दो साल पहले शादी की थी। पिता का आशीर्वाद न पाना, हेमा को अखरता परन्तु राकेश के साथ खुशनुमा जीवन उसको तसल्ली देता था। रतलाम में उनकी छोटी-सी घड़ी की दुकान थी। राकेश घड़ियां बेचकर व उनकी मरम्मत कर अच्छे खासे पैसे कमा लेता था जो उन दोनों के लिए पर्याप्त थे।मोबाइल फोन, ऑनलाइन शॉपिंग, मॉल कल्चर के कारण दिन ब दिन दुकान से कमाई कम होने लगी। अब लोगों ने घड़ियों का इस्तेमाल कम कर दिया था और मरम्मत तो भूल ही जाओ। इसी कारणवश