जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 3

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पिंकी के मुँह से यह सुनकर कि तुम जल्दी से अपने घर भाग जाओ, विजया हैरान रह गई। उसने पूछा, “क्यों दीदी?” “कोई सवाल मत करो विजया मैं जैसा कह रही हूँ वैसा करो।” विजया घर की तरफ़ जाए तब तक शक्ति सिंह वहाँ आ गया, विजया को देखकर बुदबुदाया, “अरे कितनी प्यारी बच्ची है।” "बेटा तुम्हारा नाम क्या है?" उसका हाथ पकड़ते हुए वह बोला विजया चिढ़ कर अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। तब शक्ति सिंह ने उससे कहा, "बेटा डरो मत, मैं तुम्हारा नाम पूछ रहा हूँ, बता दो, फिर मैं तुम्हें जाने दूंगा।" तभी अचानक