ज़ज्बात ऐसे होते है जिसको समझना और समझा पाना दोनो बहुत ही कठिन होते है खासकर जब, हम चाहते हो कि कोई समझे और हम उसके साथ अपना दर्द बांट सके। पर सबकी जि़ंदगी में ऐसा होता है कि आप अपने जज्बात उसको बताओ उससे पहले ही वो गैरों की तरह आप पर उंगली उठाने लगेंं, तब आपको ऐसा लगता है कि मैं सच में अकेला हॅुं या शायद कोई मेरे साथ है क्योकि आप खुद को यकीन नहीे दिला पाते कि मैं किसके पास जा कर अपने अंदर के सवालों के जबाव ले सकूं। मानता हूँ कि इंसान को