गुलदस्ता - 5

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 २४ जस्मिन के लता मंडप में कितने फुल गिर गए धरती पर गिरे बारिश पर सजकर बैठ निखर रहे पंख फडफडाते गुनगूनाते चिडियाँ आती जाती जस्मिन की खुशबू भरे पानी में नहाकर उड़ जाती हरे पत्तों के पिछे से जस्मिन के फूल सफेद चाँदनियों जैसे चमकते है कलियों का अंबर, अपना घुंघट सरकाते है बिदाई लेकर कलियों के फुल धरती पर गिर जाते है कल अपना यही हाल होगा कलियाँ यह जान लेती है अधखिली पंखुडियाँ, धीरे से खोलते, फूल खिलखिलाता है खुद की सुगंध भरी जिंदगी में आप ही खो जाता है आसमान में खिले सितारे नीचे जस्मिन के