(36) सूरज से मिलने वाले अपमान ने चेतन के मन में उसके लिए एक घृणा पैदा कर दी थी। वह अक्सर सोचता था कि उसे सबक सिखाए लेकिन उसकी हिम्मत नहीं पड़ती थी। वह अपनी स्थिति को समझता था। दुनिया में उसका कोई नहीं था। कोई ऐसा ठिकाना नहीं था जहाँ वह जा सके। वह इतना पढ़ा लिखा था नहीं कि कहीं कोई अच्छी नौकरी ढूंढ़ लेता। सूरज ने उसे काम दिया था। बासी ही सही पर पेट भरने के लिए खाना मिल जाता था। रात में सड़क पर नहीं सोना पड़ता था। यही सोचकर वह चुपचाप सब सहन कर