सबा - 21

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महिला आयोग के सदस्य दो भागों में बंट गए। अध्यक्ष और एक सहयोगी का कहना था कि किसी वयस्क महिला पर इतनी निर्ममता से शारीरिक प्रहार नहीं किया जा सकता। अलबत्ता, महिला को इस तरह चोट पहुंचाना ही अपने आप में सही नहीं ठहराया जा सकता। इसे अपराध की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए। लेकिन दूसरी ओर दो और सदस्यों का कहना था कि ये कोई हमला या आक्रमण नहीं है बल्कि लड़की के माता पिता द्वारा स्वयं ही उत्तेजना में उसे दिया गया दंड है जो कुछ ज्यादा सख्त हो गया है पर इसके पीछे परिवार के संस्कार