सर्दी घने कोहरे में दिलीप बस अड्डे पर रात के 9:00 बजे से 11:00 बजे तक दुखी हो जाता है कि आज बस अड्डे पर कोई बस क्यों नहीं आ रही है, उसे यह भी डर सता रहा था कि कहीं पीछे ज्यादा मूसलधार आंधी तूफान के साथ बरसात होने की वजह से पहाड़ का रास्ता बंद तो नहीं हो गया है।सब कुछ जानकार भी दिलीप बस का इंतजार करने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकता था।उसे घर पहुंचने की चिंता तो नहीं थी क्योंकि माता-पिता के निधन के बाद वह दुनिया में अकेला रह गया था। इसलिए दिलीप