ख्वाहिश

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     पीहू को बचपन से ही लड़कों की तरह रखा गया था जिसकी वजह से वह खुद को लड़का ही समझने लगी थी l हाव-भाव बोलचाल सभी लड़कों जैसा था अरे पीहू चल गुड़ीया के साथ खेलते हैंl नहीं बाबा मुझे नहीं पसंद गुड्डा गुड़िया तू ही खेल l अरे पर तू तो लड़की है लड़कियों को तो यही सब पसंद है ना l बोला ना परेशान मत कर मुझे क्रिकेट खेलने जाना है l गुस्से में वह निकल जाती है l यह सब देख रही मां को बहुत बुरा लगता है वह बाबा से इस बारे में बात