सबा - 17

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रास्ते भर बिजली कुछ न बोली। वह किसी कठपुतली की तरह साथ चलती रही। उसने अपने चेहरे को इस तरह ढक रखा था कि वो तो उन सबको अच्छी तरह देख पा रही थी लेकिन उनमें से कोई भी उसका चेहरा नहीं देख पाया था। किसी ने ऐसी कोशिश भी नहीं की। उस बड़ी सी जीप में कुल छः सात लोग थे। लंबा रास्ता था। लगभग दो घंटे का सफ़र करने के बाद जब एक छोटे से गांव के ढाबे पर गाड़ी रुकी तो सब लोग नीचे उतर गए लेकिन बिजली उसी तरह पीछे की सीट पर अकेली बैठी रही