वजूद - 29

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भाग 29 जब उसकी नींद खुली तो शाम हो चुकी थी। हालांकि शंकर उठकर मंदिर तक जाने की स्थिति में नहीं था। फिर उसने बड़ी हिम्मत की और खुद को लगभग घसीटते हुए मंदिर के अंदर लेकर गया। वहां उसने देखा कि शायद कुछ खाने को मिल जाए पर मंदिर में और भगवान की प्रतिमा के सामने कुछ नहीं था। कुछ फूल थे वो सूख चुके थे। वो निराश होकर फिर खुद घसीटते हुए उसी जगह आ गया था। उसके पास एक पानी की बोतल थी उसमें कुछ पानी था वो एक सांस में उसे गटक गया था। पर उस