वजूद - 9

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भाग 9 तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा। उसने पलटकर देखा तो सेना का एक जवान था। बोल ना पाने की स्थिति में शंकर की आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे उसने हाथों से इशारा कर अपने घर के बारे में उससे पूछा। सेना के जवान ने उसे कहा कि यह इलाका नदी के सबसे पास था। यहां जो कुछ भी था वो पानी में बह चुका है। हम दो दिन से यहां है यहां बहुत तलाशी लेने के बाद भी हमें यहां कुछ नहीं मिला है। उस जवान की बात सुनने के बाद शंकर लगभग बेहोश