चमकी को इसमें कोई भी परेशानी नहीं हुई। परेशानी क्या होनी थी। पुलिस थाना था भी पास में, और उसमें काम करने वाले विक्रम अंकल तो उसकी एक सहेली के पापा ही थे। सब काम फटाफट हो गया।अब तक तो काम निपटाने की भाग - दौड़ में चमकी के मन में कोई खलबली नहीं आई थी पर अब घर में लौट आने के बाद एक डूबी उदासी उसके चारों ओर फैलने लगी।उसने मां को कुछ नहीं बताया था। बापू अभी तक आए नहीं थे। वो जानती थी कि ये खबर ऐसी नहीं है कि जिसे छिपाया जा सके। और ऐसी