कैदी - 9

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फिर बारी सानवी के भाईयों पर कपडा़ डालने की कि जो दोनों ही सानव और चांदनी के दलाल बने घूमते थे और फिर सानवी की भाभी पर चादर डाली गई जो एक बच्चे ना होने पर ना जाने कहां कहां मन्नत पाठ पूजा की कहां कहां नही गई एक बच्च कोको जन्म देने के लिये मगर जब उसने एक लडकी को जन्म दिया तो बहुत खुश थी की चलो बैठे विठाये एक मुफ्त की आमदनी का जरिया मिल गया था सानवी की भाभी तो खुली आंखो से सपने देखन लगी थी और उस नन्ही सी परि की बोली लगान वाला