सबक जिंदगी का

  • 3.4k
  • 1
  • 1.4k

शीर्षक = सबक जिंदगी कादरवाज़े की घंटी बजते ही, जानकी जी ने घर का दरवाज़ा खोला,,, दरवाज़े पर खडे अपने बेटे को देखा तो थोड़ा हैरान हो गयी,,, क्यूंकि वो वही बेटा था जो कुछ दिन पहले उनसे सारे रिश्ते नाते तोड़ कर घर से भाग गया था, ये कहकर कि उसे अपने पिता के जैसा नही बनना,,, उसे उनकी किराना की दुकान नही संभालनी उसे बड़ा आदमी बनना है, अमीर होना है,,, इसलिए वो घर से जो भी कुछ था पैसे वैसे लेकर चला गया था,,, लेकिन अब उसे दरवाज़े पर खड़ा देखा तो जानकी जी हैरान रह गयी,,,