- तू चलेगी?- कहां!- मेरी सहेली के घर।- क्यों, क्या है वहां? बिजली ने कहा।- आज उसकी सगाई है रे। चमकी ने चहकते हुए कहा।- तो मैं चल कर क्या करूंगी, तुम जाओ। सहेली तुम्हारी है। मेरा वहां क्या काम। बिजली ने पल्ला झाड़ते हुए कहा।- काम तो किसी का भी क्या होता है सगाई में। मौज मस्ती करेंगे, खायेंगे - पियेंगे और...- ...और? बिजली ने उत्सुकता से पूछा।- उसके दूल्हे को देखेंगे। चमकी ने मानो कोई रहस्य खोल कर पटाक्षेप कर दिया।बिजली बुझ सी गई। फ़िर मंद स्वर में बोली - दूल्हे को क्या देखना है? एक जैसे होते