शकराल की कहानी - 7

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(7) ओह !” राजेश सिर हिला कर बोला, तो तुम इसे के अक्रवाह ही समझते हो ? जो कुछ मैंने सुना था वह तुम्हें बता दिया । असलियत क्या है वह आस्मान वाला ही जाने । अगर बड़े उपासक से आज्ञा मिल सकी होती तो मैं सारे दरवाजे तोड़ कर रख देता । बड़े उपासक ने छान बीन का काम सरदार बहादुर को सौंपा था इसलिये तुमको इससे कोई सरोकार नहीं होना चाहिये-- राजेश ने कहा । मैं नहीं समझा- तुम क्या कहना चाहते हो--? तुम बस सरदार बहादुर की तलाश जारी रखो । तुम ठीक कहते हो। आदिल ने