रेत का महल बसाया था l खूबसूरत आशियाना था ll साथ साथ जीने के लिए l अरमानो से सजाया था ll देखने वाले भी रश्क करे l बड़े चाव से सँवारा था ll मुहब्बत की निशानी में l संगेमरमर लगाया था ll फरिश्तों ने आकर सखी l पाकीज़गी से बनाया था ll १६-८-२०२३ बचपन के दिन सुहाने थे l वो सच्चे और रूहाने थे ll चाहत चांद को पाने की l हसी परियों के ज़माने थे ll बारिस में काग़ज़ की नाव l खिलोने को गले लगाते थे ll हसीं