एक गाव था जिसका नाम था । कैलास पुर । उस गाव मे एक जंगल पड़ता था । शाम के ७ बजे के बाद वहा कोई भी आदमी नहीं जाता था । कहते है शाम के बाद जो वहा गया । वो फिर पलट के कभी नहीं लौटा । जो गया सो गया । कहते उस जंगल मे एक सड़क है । सायद एक किलोमीटर जितनी । बस उस सड़क का ही सब खेल है । दिवाली की छूटी हो चुकी वो घर के लिए रवाना हो गया था । वो जब उस जंगल वाली सड़क तक