उजाले की ओर –संस्मरण

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उजाले की ओर - - -संस्मरण ------------------------------------- मित्रों को स्नेहिल नमस्कार अभी रक्षाबंधन का पावन पर्व गया है। स्मृति सामने आकर अपनी कहानी स्वयं सुनाने लगती है और हमें बहुत सी ऐसी घटनाओं से परिचित कराती है जिनसे हम परिचित नहीं होते,जिन्हें जानते ही नहीं। ऐसी ही एक कहानी - - - नहीं, कहानी नहीं जीवन की वास्तविकता को जानने का प्रयास करते हैं। वह अनोखा भाई': (रक्षा बंधन पर आप सबके लिए) महादेवी वर्मा को जब ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, तो एक साक्षात्कार के दौरान उनसे पूछा गया था, "आप इस एक लाख रुपये का क्या